कोरबा।छत्तीसगढ़ प्रदेश में शिक्षा का स्तर मजबूत करने के मंशा से पूर्ववर्ती सरकार द्वारा प्रदेश में विभिन्न शासकीय विद्यालयों को आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी और हिंदी माध्यम के रूप में परिवर्तित किया गया था। जो की प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद आज भी संचालित हो रही है।
आप सभी को भली-भाँति ज्ञात है कि स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रजी / हिंदी माध्यम शाला राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है जिसमें विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त निःशुल्क अध्ययन,अध्यापन कार्य सुनिश्चित कराया जा रहा है। इसी ध्येय से विद्यार्थियों को गणवेश, पाठ्य पुस्तक मध्यान्ह भोजन, सायकल आदि निःशुल्क उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है।
इसके बावजूद कोरबा जिले के वि.ख. पोड़ी उपरोड़ा के सिंधिया शाला में प्राचार्या संगीता साव ने अपने अधीनस्थ शिक्षकों को मौखिक आदेश देकर विद्यार्थियों से अप्राधिकृत तौर पर शुल्क लिया जा रहा है। शुल्क नहीं देने के स्थिति में प्रवेश पत्र नही देने की बात भी सामने आई है।प्राचार्या के इस तरह के फरमान से छात्र छात्राओं के पालकों में काफी आक्रोश है और प्राचार्या को अन्यत्र स्थानांतरण करने जिला कलेक्टर सहित प्रदेश के मुखिया को भी ज्ञापन सौंपने की बात कही जा रही है।जब शासन का आदेश ही नही शुल्क लेने का तो फिर प्राचार्या महोदया का आखिर मंशा क्या है की शुल्क लिया जा रहा है।आखिर उस शुल्क का रुपए कीसमे खर्चा होगा ?
जानकारी के मुताबिक प्राचार्या महोदया के पूर्व में भी शिकायत हो चुकी है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने से मनोबल बढ़ा हुआ है। सूत्रों से ये भी पता चला है प्राचार्या महोदया कभी भी समय पर शाला नहीं आती हैं।साथ ही छात्राओं को मिलने वाली निःशुल्क सायकल में भी 50 से 100 रुपए किराया के नाम से लिया जाता है।
शुल्क लिए जाने के संबंध में जब हमने शाला पहुंचे तो प्राचार्या शाला में नहीं मिली हालाकि दूरभाष से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि इंग्लिश माध्यम में शुल्क का प्रावधान नहीं है किंतु हिंदी माध्यम में शुल्क लेने का प्रावधान है और बहुत सारे शालाओं में शुल्क लिया जा रहा है । तो सवाल ये उठता है कि अगर हिंदी माध्यम में शुल्क लेने का प्रावधान है तो फिर पूरे प्रदेश में क्यूं नही ?क्या कोरबा जिले के कुछ विशेष शालाओं के लिए आदेश जारी हुआ है या फिर प्राचार्या अपने मनमानी कर रहीं हैं ?
दरअसल एक छात्र ने प्राचार्या के मौखिक फरमान को व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर कर कलेक्टर और मीडिया से बताने आग्रह किया है की क्या वास्तव में आत्मानंद हिंदी माध्यम शाला के छात्र छात्राओं को शुल्क देना है?
शिक्षा विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के मुताबिक फिलहाल अभी ऐसा कोई आदेश नहीं है जिसमे विद्यार्थियों से शुल्क लिया जाए लेकिन अगर प्राचार्या द्वारा शुल्क लिया जा रहा है तो क्यों लिया जा रहा है ये तो वही बता पाएंगी।
अब देखने वाली बात ये होगी की शासन प्रशासन ने इस मामले को कितनी गंभीरता लेती है और क्या कार्यवाही करती है?