कोरबा–जिले के सभी लोग नए साल की तैयारी में अभी से जुटे हुए हैं नए साल का स्वागत सभी अपने अपने तरीके से करते हैं और मनाते हैं 2023 को अलविदा करने का समय आ गया है और 2024 का स्वागत के लिए 48 घण्टे से भी कम समय बचा हैं पर इस बात से भी नज़र अंदाज़ या अनदेखा नहीं किया जा सकता की साल भर की कूड़ा कचड़ा गंदगी महज दो महिने में ही पिकनिक स्थलो में हो जाता हैं जी हां यह सच्चाई हैं जैसे ही नया साल लगता हैं तो साल के शुरवात जनवरी और फरवरी महीने में हजारों की संख्या में जिले के खुबसुरत और अद्भूत पिकनिक स्थल जैसे सतरेंगा, देवपहरी, नकिया, गहनिया, झोराघाट, अरेतरा, बुका , रानी झरना , कॉफी प्वाइंट आदि स्थानों में पहोंच कर नए साल का जशन मनाते हैं और स्वागत करते हैं पर वही शहर के कचड़ों को वहा फ़ैला कर खूबसूरत जगह को बर्बाद भी कर देते हैं, कोरबा जिले के सभी पिकनिक स्थल बहुत सुन्दर और प्रसिद्ध हैं जिसके कारण यहां छत्तीसगढ़ के अन्य जिले बिलासपुर, रायपुर, रायगढ़, अंबिकापुर, सुरजपुर, दुर्ग भिलाई जांजगीर चांपा जैसे अन्य क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग यहां आनंद लेने पहुंचते हैं और वहीं लोग जब यहां के फैले गंदगी को देखते हैं तो कहीं न कहीं कोरबा जिले छवि ख़राब होती हैं जिसके लिए हम सब को सोचने की आवश्कता हैं साथ ही ऐसे खुबसुरत जगहों को संवारने की जरुरत हैं।
पर्यावरण और वन्य जीवों जन्तु के लिए भी श्राप।
जंगल और पहाड़ों के आस पास पिकनिक स्थल होने से वहा के पर्यावरण को काफ़ी नुकसान उठाना पड़ता है साथ ही पिकनीक के फैले पन्नी, थैला, कांच के बोतल,बचा हुआ भोजन फैलने के कारण रात होते ही जंगली जानवर पहोंच जाते हैं जिसके कारण वो कई बार पन्नी को निगल लेते हैं साथ ही शराब के टूटे बोतल फैले होने के करण उनके पैरों में कांच चुभ जानें से गहरे घाव हो जाते हैं जिसके कारण वो लंबे समय तक दर्द से तड़पते रहते हैं कभी कभी तो घाव गहरे होने के कारण मौत तक हो जाती हैं।
वाइल्डलाइफ रेस्क्यू टीम प्रमुख जितेंद्र सारथी ने सभी आम जनों से अपिल करते हुए कहा की पिकनिक स्थल पहोंच कर अपने परिवार के साथ जरूर जशन मनाएं पर साथ ही जिस जगह भी जाए पिकनीक खत्म होने के बाद वहा बचे पन्नी, प्लास्टिक बोतल, पेपर प्लेट आदि ऐसे चीजों को वाहा न छोड़े जो सड़ते या गलते नहीं हैं जैसे पहले सुंदर था वहा फिर सफ़ाई कर के ही आए कोरबा जिले के तमाम पिकनीक स्थालो को स्वच्छ रखने की ज़िम्मेदारी हम सब की हैं और यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी हैं।